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Thursday, January 20, 2011

हम नागरिक इस देश के !



पहले कर्तव्य, फिर अधिकार
पूरी दुनिया एक हो चुकी है। आज हम जी रहे है ग्लोबल व‌र्ल्ड में। ऐसे में हमें अपनी सोच को भी विस्तार देना चाहिए। हमें अपने कर्तव्यों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। आप जिस भी क्षेत्र में है, आपको जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसे निभा लीजिए। बस इतना करना ही काफी है एक बेहतर नागरिक बनने के लिए।
जिम्मेदारी का अहसास
हमारे देश की समृद्ध सभ्यता-संस्कृति की चर्चा दुनिया भर में होती है, लेकिन जब बात सिविक सेंस की आती है, तो हमारी गिनती पीछे क्यों होती है? इस बारे में सोचने का यह सही वक्त है। मेरे खयाल से इसका एक कारण यह है कि अपने अधिकारों के प्रति सजग होने की बात तो हम करते है, लेकिन कर्तव्यों के प्रति उतने सचेत नहीं रहते। इसलिए रूल्स तोड़ने में हमें ज्यादा मलाल नहीं होता। सार्वजनिक संपत्तिका नुकसान होने से हमें तकलीफ नही होती। देश के नागरिक होने के नाते हमें अपने कर्तव्यों हमेशा याद रखने चाहिए। और क्या बस यही एक उपाय है सिविक सेंस को डेवलप करने का। मुझे भरोसा है वह दिन दूर नहीं जब होंगे दुनिया के बेस्ट नागरिक
करनी होगी पहल
जब सड़क पर कोई कूड़ा फेंकता है, लाइन तोड़ आगे बढ़कर अपना काम करवा लेता है, तो ऐसी हरकतें खीझ पैदा कर देती हैं। लेकिन क्या केवल ऐसे लोगों से चिढ़कर रह जाने से पैदा हो जाएगा सिविक सेंस? जब मुझे यह बात समझ में आई, तो उस दिन से मुझे सिविक सेंस का महत्व और इसे विकसित करने का सबसे बेहतर तरीका भी पता चला। वह है खुद को सुधार लें, अपनी छोटी-छोटी गलत आदतें छोड़ दें, तो जरूर कुछ बदलाव होगा। मेरी समझ से सिविक सेंस डेवलप करने का एक ही उपाय है कि बातें करने की बजाय पहल करके काम शुरू करें।
खुद पर हो भरोसा

दुनिया में हमें काफी सम्मान की नजरों से देखा जाता है, क्योंकि?हर मोर्चे पर हमारी एक अलग पहचान है।?जिधर देखो उधर भारत का नाम है। लेकिन अफसोस जब सिविक सेंस की बात की जाती है, तो भारतीयों को इस मामले में पिछड़ा हुआ समझ लिया जाता है।
मजे की बात यह है कि हममें से ज्यादातर आज भी खुद को भी विदेशियों से पीछे मानते है। इसका तो अर्थ यही है न कि हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम पिछड़े हुए और अभद्र है। यदि हम खुद ही ऐसा सोचने लगेंगे, तो फिर कैसे बन पाएंगे बेहतर नागरिक? आखिर हर काम के लिए खुद पर भरोसा होना तो जरूरी है न।

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